
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने हाल ही में कहा कि ईरान ने इसराइल के साथ संघर्ष में जीत दर्ज की है।
बस फिर क्या था! अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने Truth Social पर सीधा बटन दबा दिया – “ये आदमी झूठ बोल रहा है!”
ट्रंप बोले – “तीन परमाणु ठिकाने तबाह हो गए, फिर भी जीत की बात करते हो? मैंने ही तुम्हारी जान बचाई!”
मतलब: पहले धमाका, फिर ड्रामा, अब बयानबाज़ी – वर्ल्ड वॉर थ्री नहीं आया, पर Twitter War ज़रूर चल पड़ा है!
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मुझे पता था कहां छिपे हो! – ट्रंप की सीआईडी स्टाइल एंट्री
ट्रंप ने दावा किया कि उन्हें ईरान के परमाणु ठिकानों की सही-सही लोकेशन पता थी, और उन्होंने अमेरिकी या इसराइली सेनाओं को हमला करने से रोका।
Translation: “अगर मैं ना होता, तो अब तक वहाँ सिर्फ खंडहर होता!”
और हां, उन्होंने यह भी जोड़ा – “थैंक यू तक नहीं बोला ख़ामेनेई ने!”
इसे कहते हैं – अहसान भी, विज्ञापन भी।
ईरान ने दी क्लासी चाय वाली प्रतिक्रिया
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने जवाब दिया – “अगर आप वाकई डील चाहते हैं, तो हमें डांटना बंद कीजिए!”
उन्होंने कहा – “हम अपनी कीमत जानते हैं, और किसी और को अपना भाग्य तय नहीं करने देंगे।”
मतलब – “बॉस, हम सेल्फ रिस्पेक्ट वाले लोग हैं, हॉलीवुड मूवी नहीं!”
सवाल ये है: युद्ध हुआ था या ट्विटर ट्रेंडिंग टकराव?
ख़ामेनेई कह रहे हैं – अमेरिका कुछ कर नहीं पाया।
ट्रंप कह रहे हैं – मैंने कर दिया, बस बताया नहीं।
ईरान कह रहा है – “हमें मत बताओ हम क्या हैं!”
और आम जनता सोच रही है – “भाई, असली न्यूक्लियर टेंशन तो बयानों में है!”
अगर कूटनीति फेल हो जाए, तो सोशल मीडिया है ना!
इस पूरी लड़ाई में मिसाइल कम और माइक्रोब्लॉग ज़्यादा चले हैं। ट्रंप और ख़ामेनेई की जुबानी जंग में अंतरराष्ट्रीय संबंध एक बार फिर Twitter-Truth Mode में आ गए हैं।
शांति की संभावना? हो सकता है… अगर लोग पहले DMs में बात करें, ट्वीट में नहीं!
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